Desh Bhakti Shayari in Hindi│देश भक्ति शायरी

Desh Bhakti Shayari
हम सभी लोग अपने देश में अपनी जन्म भूमि से बेहद प्यार करते हैं या इसके लिए कुछ भी कर सकते हैं। हमारे सैनिक जो हमारे देख के लिए कितना कुछ नहीं कर पाते लेकिन अपने देश पर आंच नहीं आने देते फिर चाहे उन्हें अपने सीने में बंदूक की गोली ही क्यू ना खानी पड़ी वे एक जरा भी पीछे नहीं हटते। ये होती है देख भक्ति या इसके लिए हम लाए हैं आज Desh Bhakti Shayari हिंदी में विशेष रूप से उन लोगों के लिए जिनके अंदर देश भक्ति ही भावना हमेशा से जलती आई है।

आपके जो भी मित्र प्रेमी हैं इस देश से बहुत प्यार है। जो इस देश के लिए मर मिटने को तैयार है, उन सभी के साथ ये शायरी शुरू करें शेयर करें उन्हें अच्छा लगेगा। और अगर आप ऐसी या धमके दार शायरियां पढ़ना चाहते हैं तो आप जल्दी ही विजिट करें Everydayshayari.com जहां आपको बहुत अलग-अलग शायरियां जैसी लव शायरी, सैड शायरी या फिर भी बहुत सी शायरियां मिलेंगी।

Desh Bhakti Shayari

बस ये बात हवाओं को बताये रखना,
रौशनी होगी चिरागों को जलाये रखना,
लहू देकर जिसकी हिफाज़त की शहीदों ने,
उस तिरंगे को सदा दिल में बसाये रखना।

दे सलामी इस तिरंगे को,
जिस से तेरी शान है,
सर हमेशा ऊँचा रखना इसका,
जब तक तुझ में जान है.

दिल हमारे एक हैं एक ही है हमारी जान,
हिंदुस्तान हमारा है हम हैं इसकी शान,
जान लुटा देंगे वतन पे हो जायेंगे कुर्बान,
इसलिए हम कहते हैं मेरा भारत महान।

छोड़ो कल की बातें,
कल की बात पुरानी,
नए दौर में लिखेंगे,
मिल कर नयी कहानी,
हम हिंदुस्तानी.

न सर झुका है कभी,
और न झुकायेंगे कभी,
जो अपने दम पे जिए,
सच में ज़िन्दगी है वही.

काले गोरे का भेद नहीं
हर दिल से हमारा नाता है,
कुछ और न आता हो हमको
हमें प्यार निभाना आता है.

मैं मुस्लिम हूँ, तू हिन्दू है, हैं दोनों इंसान,
ला मैं तेरी गीता पढ़ लूँ, तू पढ ले कुरान,
अपने तो दिल में है दोस्त, बस एक ही अरमान,
एक थाली में खाना खाये सारा हिन्दुस्तान।

संस्कार और संस्कृति की शान मिले ऐसे,
हिन्दू मुस्लिम और हिंदुस्तान मिले ऐसे
हम मिलजुल के रहे ऐसे कि
मंदिर में अल्लाह और मस्जिद में राम बसे जैसे।

आज मुझे फिर इस बात का गुमान हो,
मस्जिद में भजन मंदिरों में अज़ान हो,
खून का रंग फिर एक जैसा हो,
तुम मनाओ दिवाली मेरे घर रमजान हो।

दोस्ताना इतना बरकरार रखो कि,
मजहब बीच में न आये कभी,
तुम उसे मंदिर तक छोड़ दो ,
वो तुम्हें मस्जिद छोड़ आये कभी।

कुछ हाथ से मेरे निकल गया,
वो पलक झपक के छिप गया,
फिर लाश बिछ गयी लाखों की,
सब पलक झपक के बदल गया।

Desh Bhakti Shayari | 2 line

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

जशन आज़ादी का मुबारक हो देश वालो को
फंदे से मोहब्बत थी हम वतन के मतवालो को

तैरना है तो समंदर में तैरो नालों में क्या रखा हैं,
प्यार करना है तो देश से करो औरों में क्या रखा हैं…

रात होते ही आप नींद में खो जाते है,
सूरज ढलते ही वो तैनात हो जाते है…

जो अब तक ना खौला वो खून नही पानी हैं,
जो देश के काम ना आये वो बेकार जवानी हैं.

सीने में जूनून और आँखों में देशभक्ति की चमक रखता हूँ !
दुश्मन की सांसे थम जायें,
आवाज में इतनी धमक रखता हूँ !!

लिख रहा हूँ मैं अंजाम,
जिसका कल आगाज आएगा,
मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा.

वतन की मोहब्बत में खुद को तपाये बैठे है,
मरेगे वतन के लिए शर्त मौत से लगाये बैठे हैं!

अब तो मरना जीना बस तिरंगे के नाम होगा,
अगला जन्म लिया तो मेरा देश हिंदुस्तान ही होगा।

वतन की सर बुलंदी में हमारा नाम हो शामिल,
गुज़रते रहना है हमको सदा ऐसे मुकामो से।

देश भक्ति जिसमें हो बस वो एक दिल साज है,
देश भक्ति जिसमें नहीं वो जिंदगी बेकार है।

जिन्हें हम हार समझ बैठे थे गला अपना सजाने को,
वहीं अब नाग पर बैठे हमी को काट खाने को।

Army Desh Bhakti Shayari

मर मिटे इस मिट्टी के लिये,
जो स्वर्ग से भी प्यारी हैं,
बाहें खोल ए मातृभूमि,
दुनिया में सबसे प्यारी हैं..!!

रूठी थी किस्मत मेरी अब
मेहरबान हो गयी
भारतीय फौजी के नाम से ही
मेरी पहचान हो गयी

चारो और ख़ामोशी थी,
आंध्रा भी क्या खूब छाया था।
आँखें नम थी पूरे देश की जब,
वीर तिरंगे में लिपट कर घर वापस आया था।

आन बान और शान मेरे देश की ये फौजी नौजवान है,
तीन रंगों से सजा तिरंगा यही हमारी पहचान है।

कोई मेरे को गाली दे,
सेह लूँगा,
मेरे देश के खिलाफ बोला,
चिर दूँगा।

तन अनेक पर एक प्राण स्वर अनेक पर एक गान,
हम कण कण पर छा जाएंगे बन कर भारत का स्वाभिमान।

देश के लिए मर मिटना कुबूल है हमें
अखंड भारत के सपने का जूनून है हमें

अधिकार मिलते नहीं लिए जाते हैं
आजाद हैं मगर गुलामी किये जाते हैं
वंदन करो उन सेनानियों को
जो मौत के आँचल में जिए जाते हैं

उड़ जाती है नींद ये सोचकर
कि सरहद पे दी गयीं वो कुर्बानियां
मेरी नींद के लिए थीं

इश्क तो करता है हर कोई
महबूब पे तो मरता है हर कोई
कभी वतन को महबूब बना के देखो
तुझ पे मरेगा हर कोई

खूब बहती है गंगा बहने दो
मत फैलाओ देश में दंगा रहने दो,
लाल हरे में मत बांटो
मुझको छत पर मेरे एक तिरंगा रहने दो..!!

दे सलामी इस तिरंगे को जिस से तेरी शान हैं,
सर हमेशा ऊँचा रखना इसका जब तक दिल में जान हैं..!!

दिवाली में बसे अली,
रमजान में बसे राम,
ऐसा सुंदर होना चाहिए अपना हिन्दुस्तान..!!

देश भक्ति शायरी

अनेकता में एकता ही इस देश की शान है,
इसीलिए मेरा भारत महान है..!!

जो देश के लिए शहीद हुए उनको मेरा सलाम है,
अपने खूं से जिस जमीं को
सींचा उन बहादुरों को सलाम है..!!

तिरंगे ने मायूस होकर सरकार से पूछा कि ये क्या हो रहा हैं,
मेरा लहराने में कम और कफन में ज्यादा इस्तेमाल हो रहा हैं..!!

एक सैनिक ने क्या खूब कहा है.
किसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ आया हूँ,
मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ आया हूँ,
मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ,
मैं अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़ आया हूँ।
जय हिन्द.

लड़े जंग वीरों की तरह,
जब खून खौल फौलाद हुआ।
मरते दम तक डटे रहे वो,
तब ही तो देश आजाद हुआ।।

ना पूछो जमाने को कि क्या हमारी कहानी है,
हमारी पहचान तो सिर्फ यह है कि हम हिंदुस्तानी है।

अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं,
सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नहीं।

तन अनेक पर एक प्राण,
स्वर अनेक पर एक गान,
हम कण कण पर छा जाएंगे,
बन कर भारत का स्वाभिमान।

सुन्दर है जग में सबसे,
नाम भी सबसे न्यारा है,
वो देश हमारा है,
वो देश हमारा है।

वतन की सर बुलंदी में,
हमारा नाम हो शामिल
गुजरते रहना है हमको,
सदा ऐसे मुकामो से

जो भरा नही है भावों से,
जिसमे बहती रसधार नही
वो हृदय नही है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं

लिख रहा हूँ मैं अंजाम,
जिसका कल आगाज आएगा,
मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा.

घरवालों ने पढ़ा लिखा के पड़ लगा तो दिए,
अब वो ही पड़ अपने वतन लौटने से रोकते हैं।

Dard Desh Bhakti Shayari

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पे मर मिटने वालों का बाकी यही निशां होगा

जो अब तक ना खौला,
वो खून नहीं पानी है,
जो देश के काम ना आये,
वो बेकार जवानी है

तैरना है तो समंदर में तैरो नालों में क्या रखा है,
प्यार करना है तो देश से करो,
गैरों में क्या रखा है।

जहाँ जाति भाषा से बढ़कर देशप्रेम की धारा है,
वो देश हमारा है,
वो देश हमारा है।

दिवाली में बसे अली,
रमजान में बसे राम,
ऐसा सुंदर होना चाहिए अपना हिन्दुस्तान।

देश के लिए प्यार है तो जताया करो किसी का इन्तजार मत करो,
गर्व से बोलो जय हिन्द अभिमान से कहो भारतीय है हम।

जब रिश्ते राख में बदल गए,
इंसानियत का दिल दहल गया,
मैं पूछ पूछ के हार गया,
क्यूँ मेरा भारत बदल गया?

मेरा यही अंदाज ज़माने को खलता है,
कि चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है,
मैं अमन पसंद हूँ,
मेरे शहर में दंगा रहने दो,
लाल और हरे में मत बांटो,
मेरी छत पर तिरंगा रहने दो।

ज़माने भर में मिलते हैं आशिक कई,
मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता,
नोटों में लिपट कर मरे हैं कई,
सोने में सिमटकर मरे हैं कई,
मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता।

ऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा,
ये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारा,
पर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गँवाए,
कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आये।

हम अपने खून से लिक्खें कहानी ऐ वतन मेरे,
करें कुर्बान हँस कर ये जवानी ऐ वतन मेरे।
दिली ख्वाहिश नहीं कोई मगर ये इल्तिजा बस है,
हमारे हौसले पा जायें मानी ऐ वतन मेरे।

Best Desh Bhakti Shayari

मुझे तन चाहिए, ना धन चाहिए,
बस अमन से भरा यह वतन चाहिए।
जब तक जिन्दा रहूं, इस मातृभूमि के लिए,
और जब मरू तो तिरंगा कफ़न चाहिये।

ये नफरत बुरी है न पालो इसे,
दिलो में खलिश है निकालो इसे,
न तेरा, न मेरा, न इसका,
न उसका,
यह सब का वतन है, बचा लो इसे.

न मरो सनम बेवफा के लिए,
दो गज जमीन नहीं मिलेगी दफ़न के लिए,
मरना है तो मरो अपने वतन के लिए,
हसीना भी दुप्पटा उतार देगी कफ़न के लिए.

लहराएगा तिरंगा अब सारे आसमान पर,
भारत का नाम होगा सब की जुबान पर,
ले लेंगे उसकी जान या दे देंगे अपनी जान,
कोई जो उठायेगा आँख हमारे हिंदुस्तान पर.

दिलों की नफरत को निकालो,
वतन के इन दुश्मनों को मारो,
ये देश है खतरे में ए -मेरे -हमवतन,
भारत माँ के सम्मान को बचा लो!!

कुछ नशा तिरंगे की आन का है,
कुछ नशा मातृभूमि की मान का है,
हम लहरायेंगे हर जगह ये तिरंगा,
नशा ये हिन्दुस्तान की शान का है….

खून से खेलेंगे होली,
अगर वतन मुश्किल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना
अब हमारे दिल में है
जय हिन्द

हर वक़्त मेरी आँखों में धरती का स्वपन हो,
जब कभी मरू तो तिरंगा मेरा कफ़न हो,
और कोई ख्वाहिश नहीं ज़िंदगी में अब,
जब कभी जनमु तो भारत मेरा वतन हो

गूंजे कहीं पर शंख, कहीं पे अजान है
बाइबिल है ग्रन्थ साहब है गीता का ज्ञान है
दुनिया में कहीं और यह मंज़र नसीब नहीं
दिखाओ ज़माने को ये हिंदुस्तान है.

मैं जला हुआ राख नहीं,
अमर दीप हूँ
जो मिट गया वतन पर,
मैं वो शहीद हूँ

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