खामोशी हमारी वो कहानी है जेबी हम बहुत कुछ कहना चाहते हैं लेकिन फिर भी हम चुप रहते हैं। कई बार हमारी जिंदगी में कुछ ऐसी चीज हो जाती है जब हम खामोश हो जाते हैं जबकी हमारा मन बहुत सी बातें कर रहा होता है। इसी मुश्किल समय के लिए या आपके मन की बातों को समझने के लिए हम लेकर आये हैं आज की बहुत ही खास Khamoshi Shayari in Hindi।
खामोशी हमारी एक फीलिंग है, हमारी एक सिचुएशन है जहां हम कुछ न कहकर भी बहुत कुछ कह जाते हैं। एसा समय बहुत मुश्किल होता है क्योंकि तब हम चाहते कर भी कुछ नी बोल पाते। तो आइये इस समय के लिए पढिये आज की - खामोशी शायरी 2 लाइन attitude और खामोशी शायरी attitude।
Shayari on Khamoshi in Hindi
एक उम्र ग़ुज़ारी हैं हमने
तुम्हारी ख़ामोशी पढते हुए…
एक उम्र गुज़ार देंगे
तुम्हें महसूस करते हुए…
उससे फिर उसका रब फ़रामोश हो गया
जो वक़्त के सवाल पर
ख़ामोश हो गया।
खामोश चेहरे पर
हजारों पहरे होते है
हंसती आखों में भी
जख्म गहरे होते है
जिनसे अक्सर रुठ जाते है हम
असल में उनसे ही
रिश्ते गहरे होते है।
उदास है मेरी ज़िंदगी के सारे लम्हे एक तेरे खामोश हो जाने से
हो सके तो बात कर ले ना कभी किसी बहाने से ….
कितना बेहतर होता हैं
खामोश हो जाना,
ना कोई कुछ पूछता है,
ना किसी को कुछ बताना पड़ता है।
मैंने अपनी खामोशी से,
कई बार सुकून खरीदा है…!
मुद्दत से बिखरा हूँ
सिमटने मे देर लगेगी
खामोश तन्हाई से निपटने मे देर लगेगी
तेरे खत के हर सफहे को
पढ़ रहा हूँ मै
हर पन्ना पलटने मे यकीनन देर लगेगी।
ख़ामोशी की तह में
छुपा लीजिए सारी उलझनें,
शोर कभी मुश्किलों को आसान नहीं करता
कुछ हादसे इंसान को
इतना खामोश कर देते हैं कि
जरूरी बात कहने को भी
दिल नहीं करता ।
मैं एक गहरी ख़ामोशी हूं आझिंझोड़ मुझे,
मेरे हिसार में पत्थर-सा
गिर के तोड़ मुझे
बिखर सके तो बिखर जा
मेरी तरह तू भी
मैं तुझको जितना समेटूँ
तू उतना जोड़ मुझे।
यानी ये खामोशी भी
किसी काम की नही
यानी मैं बयां कर के बताऊं के उदास हूं मैं…
Teri Khamoshi Shayari in Hindi
लफ़्जों का वज़न उससे पूछो…
जिसने उठा रखी हो ख़ामोशी लबों पर…
आंखों में दबी खामोशी को…..
पढ़ नहीं पाओगे तुम…
कि मैंने सलीके से…..
इन पलकों में सब छुपा रखा है।
ख़ामोश समझ कर
किसी को हल्के में ना लेना साहब,
राख में फूंक मारने से कई बार
मुंह जल जाया करता है..ll
वो सुना रहे थे
अपनी वफाओं के किस्से
हम पर नज़र पड़ी तो
खामोश हो गए।
हो रहा हूँ करीब
तुझसे जैसे खीँच रही कोई डोर है,
बाहर तेरे ना होने की खामोशी और भीतर तेरा ही शोर है…
किसी ने हिज्र का ऐसा ग़म बसर नहीं किया ,
खामोश होकर चल दिये अगर-मगर नहीं किया ,
.हुज़ूर हमसे बेवफ़ाई का गिला न कीजिये ,
यही तो एक काम है
जो उम्र भर नहीं किया।
कुछ वक्त खामोश होकर भी देख लिया हमने,
फिर मालूम हुआ कि
लोग सच मे भूल जाते हैं।
में कोई खामोश सी ग़ज़ल जैसा हूं,
या हूं कोई नज़्म जैसा धीमे से गुनगुनाता हुआ…
तभी तो वो भी मुझे पढ़ते हैं आहिस्ते आहिस्ते से
तू मेरे दिन में , रातों में
खामोशी में , बातों में
बादल के हाथों
मैं भेजू तुझ को यह पयाम
तेरी याद हमसफर सुबह-ओ-शाम।
शुरुआत में खामोशी पढ़ने वाले ,
अंत में चीखें भी अनसुनी कर देते हैं ।।
लोगों को शोर में
नींद नहीं आती,
मुझे एक इंसान की
खामोशी सोने नहीं देती…
Khamoshi Shayari in Hindi 2 Line
जु़बां ख़ामोश मगर नज़रों में उजाला देखा ,
उस का इज़हार-ए-मोहब्बत भी निराला देखा…
मेरे लफ्ज़ों को ख़ामोश ही रहने दो,
ये बोल पड़े तो बात बढ़ जाएगी।
ये जो खामोश से अल्फ़ाज़ लिखे हैं ना मैने…
कभी पढ़ना ध्यान से, चीखते कमाल हैं
साँसों को छलनी, जिगर को पार करती है,
ख़ामोशी भी, बड़े सलीके से वार करती है।
कुछ दर्द खामोश कर देते हैं,
वरना मुस्कुराना कौन नही चाहता…
शब्द, मन, जज्बात,
एक एक करके सब खामोश हो गए।
मत पूछो हमसे हमारी बेचैनियों का आलम,
ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं, बातें हम कर नहीं पाएंगे।
ख़ामोशी में आवाज़ का किरदार कोई है,
जो बोलता रहता है लगातार, कोई है।
ये खामोशी की कहानी भी बड़ी बेजुबानी है
हर किसी ने कहाँ इसे खुद से जानी है..
सुनती रही मैं सब के दुख ख़ामोशी से,
किसका दुख था मेरे जैसा, भूल गई।
ख़ामोशी में चाहे जितना बेगाना-पन हो,
लेकिन एक आहट जानी-पहचानी होती है!
हालातों ने कर दिया हमें खामोश वरना
हमारे रहते हर महफिल में रौनक रहती थी..!!
ये जो खामोश से अल्फ़ाज़ लिखे है ना मैने….
कभी पढ़ना ध्यान से चीखते कमाल है…
जिंदगी खामोशी शायरी
जब आपकी आवाज
किसी को चुभने लगे तो
तोहफे में उसे अपनी खामोशी दे दो…।
विधाता की अदालत में
वकालत बहुत न्यारी है
खामोश रहिए कर्म कीजिये मुकदमा सब का जरी है
किन लफ्जों में लिखूँ
मैं अपने इन्तजार को तुम्हें,
बेजुबां है इश्क़ मेरा
ढूँढता है खामोशी से तुझे।
खामोशी मेरी , बातें तुम्हारी
शामें मेरी , रातें तुम्हारी
सबसे महंगी लगती है मुझे
फुर्सतें मेरी , और मुलाकातें तुम्हारी
वो कहने लगे की कुछ तो बोलो
हमने कहा……
हमे खामोश ही रहने दो
लोग अक्सर हमारी बाते सुनकर रूठ जाया करते है…
मेरी खामोशी से किसी को
कोई फर्क नहीं पड़ता,
और शिकायत के दो लफ्ज़
कहूं तो चुभ जाते हैं।
“बिखरे है अश्क कोई साज नही देता
खामोश है सब कोई आवाज नही देता
कल के वादे सब करते है ।
मगर क्यू कोई साथ
आज नही देता ।
कुछ अजीब सा चल रहा है,
ये वक्त का सफर ,
एक गहरी सी
खामोशी है खुद के अंदर।
झूठ की जीत उसी वक्त
तय हो जाती है जब सच्चाई
जानने वाला इंसान खामोश रह जाता है।
बैठकर ख़ामोश, आजमाएंगे
देखते हैं कब तुमको याद आएंगें..!!
कोई तो गिनती होगी
मेरी भी कहीं सनम
किसी के नाम के बाद, हम भी आएंगें….!!!!
उन्हें चाहना हमारी कमजोरी हैं,
उन से कह नही पाना हमारी मजबूरी हैं,
वो क्यूँ नही समझते हमारी ख़ामोशी को
क्या प्यार का इज़हार करना जरुरी है।
अधूरी कहानी पर खामोश
होठों का पहरा है,
चोट रूह की है
इसलिए दर्द जरा गहरा है !
Few Last Words
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